ताप परियोजना में निलंबन के बाद हुए अधिकारी बहाल..

ताप परियोजना में निलंबन के बाद हुए अधिकारी बहाल..

लेकिन क्या वर्तमान में जिस अधिकारी के ऊपर किसानों ने आरोप लगाया उनके ऊपर होगी कोई कार्रवाई..

मुंदी.। शरद गुप्ता।

            संत श्री सिंगाजी महाराज के धाम के नाम पर बने संत सिंगाजी ताप परियोजना में पिछले दिनों मजबूर बेबस असहाय किसानों के द्वारा लगातार 6 दिनों तक ताप परियोजना के मुख्य द्वार पर धरना एवं प्रदर्शन तथा ताप परियोजना में श्रमिकों की समर्थन की सहायता से कामबंदी हो गई थी।

लेकिन किसानों और युवा बेरोजगारों के धरना प्रदर्शन ने मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी के अधिकारियों को नाकों चने चबवा दिए क्योंकि किसानों ने जो अपनी हजार एकड़ जमीन क्षेत्र में बनने वाले ताप परियोजना के नाम पर समर्पित कर दी जिसमें प्रदेश सरकार और पावर जनरेटिंग कंपनी के द्वारा किसानों से वादा किया गया था कि जो भी प्रभावित परिवार हैं उनके किसी एक बच्चे को शिक्षा के बाद ताप परियोजना में नौकरी प्रदान की जाएगी लेकिन सरकार और कंपनी की वादाखिलाफी से नाराज किसानों ने सरकार के विरोध में यह धरना प्रदर्शन शुरू किया जिसे देखते हुए ताप परियोजना के एक अधिकारी ए के शर्मा द्वारा येन केन प्रकारेण इस धरना प्रदर्शन को समाप्त करने के उद्देश्य  से किसानों के ऊपर ट्रक में तोड़फोड़ के बेबुनियादी आरोप एवं खंडवा जिला एसपी से शिकायत और पावर जनरेटिंग कंपनी के मुख्यालय में भी कुछ फर्जी शिकायत करने की बात को लेकर पिछले दिनों पावर जनरेटिंग कंपनी के कमर्शियल डायरेक्टर मिस्टर मनजीत सिंह को किसानों ने जो अपनी मांगों का समर्थन पत्र सौंपा था उसमें एक शर्मा के खिलाफ भी किसानों ने कार्यवाही की मांग की थी और कहा था की इन्हीं सब बातों के लिए मिस्टर शर्मा को खंडवा जिला कलेक्टर के द्वारा भी फटकार लगाई गई थी और अब हम यह चाहते हैं कि हमारी आवाज और हमारी एकता को दबाने वाले अधिकारी ए के शर्मा के ऊपर कार्रवाई की जाए और ऐसे अधिकारी का यहां से स्थानांतरण कर दिया जाए जिससे यह बात तो साबित होती है कि एमपीपीजीसीएल के अधिकारी अपने खिलाफ उठने वाली किसी भी आवाज को दबाने के लिए कुछ भी करने को तैयार है ऐसा किसानों ने क्या कर दिया था जो इस अधिकारी के द्वारा किसानों के खिलाफ वह बुनियाद बातें कही गई क्या अपना हक मांगना और उसके लिए धरना प्रदर्शन करना अनुचित है अपने बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होने देना कौन मां-बाप चाहता है किसानों की यही गलती थी कि उन्होंने अपनी मांग अधिकारियों के सामने की मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग के द्वारा पिछले 4 वर्षों में 379 में से मात्र 19 युवाओं को ही इस परियोजना में नौकरी दी गई है।

अब देखना होगा कि मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी के द्वारा ए के शर्मा ताप क्या कोई कार्यवाही हो पाती है या फिर वही होगा जो होता आया है।

वही इस सारे बखेड़े में जिन की भूमिका को कटघरे मैं खड़ा कर निलंबन की कार्यवाही की गई थी उन्ही मिस्टर राकेश मल्होत्रा को फिर से बहाल किया जाना भी समझ से परे है अगर उन्हें बहाल ही करना था तो फिर निलंबन की कार्रवाई किस आधार पर की गई थी और जब निलंबन के बाद भी कौन सी ऐसी बात सामने आई जिसके आधार पर उन्हें फिर से बहाल कर दिया गया जैसे यू मान ले की तत्काल मामले को दबाने के उद्देश्य से ही मिस्टर मल्होत्रा की निलंबन की कार्रवाई की गई थी अब यह सारी बातें तो एमपीपीजीसीएल के उच्च अधिकारी हैं बता सकते हैं परंतु कहीं ना कहीं यह सवाल जरूर खड़ा होता है की एमपीपीजीसीएल में कुछ ना कुछ गड़बड़ तो जरूर चल रहा है जो खुलकर सामने नहीं आ पा रहा है परंतु  सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ताप परियोजना से जुड़े हुए अधिकारियों और ठेकेदारों के बीच कहीं ना कहीं कुछ ऐसा सूत्र जुड़ा है जो सामने आने पर बहुत कुछ कहानी बदल सकता है।

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